प्रतिरूप के प्रकार बताइए? Types of communication Model

प्रतिरूप के प्रकार (Types of Model)

प्रतिरूप के प्रकार 


संचार प्रतिरूप या संप्रेषण प्रतिरूप को संचार विशेषज्ञों ने अपने-अपने अनुसार भिन्न-भिन्न वर्गों में विभाजित किया है। कुछ प्रमुख वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार हैं-

प्रथम वर्गीकरण

प्रथम वर्गीकरण निम्नानुसार है-
1. संरचनात्मक न्यादर्श (Structural Model)
2. प्रकार्यात्मक प्रतिरूप (Functional Model)

संरचनात्मक न्यादर्श (Structural Model)

इस प्रकार के न्यायाधीश में सिर्फ न्यादर्श की संरचना बनाकर विषय को अभिव्यक्त किया जाता है।
उदाहरण- भवन निर्माण के लिए अभियंता नक्शा बनाकर योजना प्रस्तुत करता है। नक्शा में भवन की रूपरेखा निश्चित हो जाती है। इसमें किसी परिणाम को कोई स्थान नहीं दिया जाता। इसी प्रकार संचार के संबंध में भी संचार प्रक्रिया किस प्रकार होगी, उसका स्वरूप कैसा होगा आदि के संबंध में मॉडल बनाया जाता है। उसका परिणाम कैसा होगा इसका निर्धारण नहीं किया जाता।

प्रकार्यात्मक प्रतिरूप (Functional Model)

इस प्रकार के प्रतिरूप में विषय की प्रक्रिया का प्रारंभ से अंत तक प्रस्तुतीकरण किया जाता है। विषय की योजना, प्रक्रिया, कार्य, उपयोग, दिशा, संबंध, प्रभात संभावित परिणाम आदि को ऐसे न्यादर्श में स्थान दिया जाता है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही ऐसे न्यादर्श बनाए जाते हैं।

द्वितीय वर्गीकरण

मोटेंन्सन ने सन् 1972 में संप्रेषण के न्यायाधीशों का संक्षिप्त वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से प्रस्तुत किया है-
1. गणितीय न्यादर्श (Mathematical Model)
2. अरेखीय न्यादर्श (Non Liner Model)
3. व्यवहारिक न्यादर्श (Behavioural Model)

गणितीय न्यादर्श (Mathematical Model)

इस न्यादर्श को हम निम्नलिखित रुप में समझ सकते हैं
1. गणितीय न्यादर्श केवल विशेषीकृत और परिसीमित रूप में मानव संप्रेषण के अनुरूप है।


2. सैनी एवं बी व तकनीकी संप्रेषण की संकल्पना निश्चित लक्ष्य तक एक माध्यम के द्वारा स्रोत से सूचना की अंक संबंधी कार्यों को एक दूसरे तक प्रेषित करने के रूप में करते हैं।


3. ऐसे न्यादर्श की संकल्पनाओं में कूट बनाना (एनकोड), कूट खोलना (डी कोड), अतिशयता, शोर और माध्यम क्षमता शामिल है।

अरेखीय न्यादर्श (Non Liner Model)

इसने आदर्श को हम इस प्रकार से समझ सकते हैं-


1. विलवश्राम का न्यादर्श द्विमार्गी अंतः परिवर्तन में कूट बनाने और कूट खोलने को संकल्पनाओं को संबंधित करता है।


2. डांस द्वारा प्रतिपादित चक्राकार या वर्तुल अथवा सर्पिल न्यादर्श संप्रेषण को जन्म से वर्तमान तक विकास प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत करता है।


3. वस्टेले और मैक्लीन का संकल्पना न्यादर्श स्रोत और संदेश प्राप्त करने वाले के स्थिति ज्ञान के उद्देश्यों के प्रभाव की प्रतिपुष्टि अथवा पुननिर्वेश के आशय पर सकेंद्रित है।


4. बेकर द्वारा विकसित 'मोजेक मॉडल' (Mosaic Model) समय और स्थिति के परे संदेशों के मिश्रित व्यूह में अंतः क्रिया को महत्व देता है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि अरेखीय न्यादर्श में संचार की प्रक्रिया को आदि से अंत तक संपादन करने की संकल्पना का प्रायः चित्रण किया जाता है।

व्यवहारिक न्यादर्श (Behavioural Model)

इस न्यादर्श को भी निम्नलिखित तरीके से समझ सकते हैं-
1. ड्यूस्क और वेटसन संप्रेषण को अंतः क्रिया(Interaction)  के चार स्तरों पर देखते हैं-
  • व्यक्तियों में
  • अंतर व्यक्ति स्तर पर
  • वर्ग स्तर पर
  • सांस्कृतिक स्तर पर

2. डी. सी. बार्नलुण्ड (D. C. Barnlund) का व्यवहारिक न्यादर्श संप्रेषण की संकल्पना को एक गतिशील अनवरत, चहुंदिश, पुनरावृत्ति रहित,  अपरिवर्तनीय और जटिल रूप में करता है।

3. पद्धति इन यादव संप्रेषण को निम्नलिखित स्वयं सिद्धियों द्वारा विशेष इक्रित जटिल घटनाओं के रूप में निम्नलिखित प्रकार से देखता है-

  • संप्रेषण सभी के लिए अनिवार्य है।
  • संदेश की विषय वस्तु के अर्थ संबंध आरोपित हैं।
  • अंतः सक्रियता क्रम में प्रत्येक पक्ष द्वारा संबंधों को चिह्नांकित किया जाता है।

मोर्टन्सन के उपरोक्त वर्गीकरण के अतिरिक्त भी न्यादर्श के कुछ और प्रकार हो सकते हैं।

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