शाब्दिक संचार क्या है? What is verbal communication in Hindi

संचार माध्यमों के विकास क्रम सदियों पुराना है, जिसमें माना गया है कि शुरुआत में मनुष्य अपनी भाव भंगिमाओं, संकेतों, प्रतीकों और चिन्हों के माध्यम से संचार करता था, जिसे अशाब्दिक संचार कहते थे। तत्कालीन मानव के पास स्वर और आवाज तो थी, परंतु उनके पास शब्द नहीं थे। जिसके फलस्वरूप मानव अशाब्दिक संचार करने लगा। जैसे-जैसे शब्दों का अविष्कार होता गया मानव ने अशाब्दिक संचार के साथ-साथ शाब्दिक संचार भी करना सीख लिया।

शाब्दिक समाचार


शाब्दिक संचार (verbal communication)

जो संदेश शब्दों के माध्यम से दिया जाता है उसे शाब्दिक संचार कहते हैैं। इस विधि में भाषा का प्रयोग होता है, ताकि दूसरा व्यक्ति यह सभी उपस्थित व्यक्ति समझ सके। शाब्दिक संचार भी दो प्रकार का होता है-

1. मौखिक संचार

2. लिखित संचार


मौखिक संचार (oral communication)

मौखिक संचार में भाषा द्वारा आदान-प्रदान होता है। इसके साथ ही चेहरे के हाव-भाव, इशारे आदि का प्रयोग भी होता है। टेलीफोन, वीडियो, रेडियो, टेलीविजन, वॉइस-मेल, इंटरनेट आदि से भी यह संचार होता है। मौखिक संचार आवाज की गति, पिच, शब्दों के साफ उच्चारण और मॉड्यूलेशन से प्रभावित होता है।


मौखिक संचार के लाभ:-


1. फीडबैक या प्रत्युत्तर तुरंत प्राप्त हो जाता है। 

2. आमने-सामने संचार करने से एक दूसरे के हाव-भाव दिखते हैं, इससे बात आसानी से समझ आ जाती है।

3. दूसरे व्यक्ति की शारीरिक भाषा देख पाने से यह अंदाजा लगाया जा सकता है, कि उस व्यक्ति की नियत/इरादा क्या है एवं उस पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं।


मौखिक संचार की हानियां:-


1. मौखिक के संचार में व्यक्ति को इतना समय नहीं मिल पाता, कि वह संबंधित विषय पर गहन चिंतन कर सके और साथ ही साथ अपने विचार प्रकट भी कर सके।


लिखित संचार (written communication)


यह हस्तलिखित या प्रिंटेड रूप में हो सकता है। इसमें चिन्हों की सहायता भी ली जा सकती है। यह फैक्स, रिपोर्ट, ईमेल, विज्ञापन, संदेश के रूप में हो सकता है। लिखित संचार के लिए संदेशकर्ता वा प्राप्तकर्ता दोनों का ही शिक्षित होना आवश्यक है। आवश्यक है कि दोनों को भाषा का ज्ञान हो।


इस संचार की गुणवत्ता व्यक्ति के भाषा, ज्ञान, व्याकरण, लिखने का तरीका, स्पष्टता, बारीकियों को समझने की क्षमता पर निर्भर करता है।


लिखित संचार के लाभ:- 


1. संदेश को भेजने से पहले संपादित व संशोधित किया जा सकता है।

2. संदेशों के अभिलेखों को सुरक्षित रखा जा सकता है।

3. लिखित संदेश को प्राप्तकर्ता अच्छे से समझ सकता है और बाद में प्रत्युत्तर भेज सकता है।


लिखित संचार की हानियां:-


1. प्रत्युत्तर उसी समय प्राप्त नहीं हो पाता है, इसलिए संचार में अधिक समय लगता है।

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